आला ह़ज़रत के सोने का अलग अंदाज़

➡आला ह़ज़रत मौलाना शाह इमाम अह़मद रज़ा ख़ान रह़मतुल्लाह तआ़ला अ़लैहे सोते वक़्त हाथ के अंगूठे को शहादत की उंग्ली पर रख लेते ताकि उंग्लियों से लफ़्ज़ “अल्लाह (الله)” बन जाए!

आप अ़लैहिर्रह़मां पैर फैला कर कभी न सोते बल्कि दाहिनी (यानी सीधी) करवट लेट कर दोनों हाथों को मिलाकर सर के नीचे रख लेते और पांव मुबारक समेट लेते इस त़रह़ जिस्म से लफ़्ज़ “मुह़म्मद (محمد)” बन जाता!

(📚ह़याते आला ह़ज़रत, 1/99)

(📚तज़्किरए इमाम अह़मद रज़ा, सफ़ह़ा-16)

➡ये हैं अल्लाह तआ़ला के चाहने वालों और रसूले पाक सल्लल्लाहो तआ़ला अ़लैहे वसल्लम के सच्चे आ़शिक़ों की अदाएं!

नामे खुदा हैं हाथ में, नामे नबी हैं ज़ात में!

मोहरे गु़लामी हैं पड़ी,लिखे हुए हैं नाम दो!!

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