हबीब बिन ज़ैद रज़ियल्लाहु तआला अन्हु

हबीब बिन ज़ैद रज़ियल्लाहु तआला अन्हु

 

हबीब बिन ज़ैद रज़ियल्लाहु तआला अन्हु

मुसैलमा कज़्ज़ाब ने जो अपनी नुबुव्वत का दावेदार था अपने वतन यमामा से एक ख़त हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के नाम लिखा जो यह है”खुदा के रसूल मुसैलमा की तरफ से खुदा के रसूल मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की तरफ । वाज़ेह हो कि आधी ज़मीन हमारी और आधी कुरैश की है। लेकिन कुरैश इंसाफ नहीं करते और सलाम हो आप पर ” हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़ौरन उस ख़त का जवाब लिखवाया जो यह है:

“अल्लाह के नाम से जो कमाल मेहरबान और रहम वाला है। मुहम्मद खुदा के नबी की तरफ से बहुत बड़े झूठे मुसैलमा की तरफ वाज़ेह हो कि ज़मीन खुदा की है। वह अपने बंदों में जिसे चाहे वारिस बनाता है और अंजाम नेक लोगों के लिये है। सलाम हो उस पर जो सीधी राह चले ।”

यह मुबारक मकतूब हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हबीब बिन जैद रज़ियल्लाहु तआला अन्हु को देकर यमामा रवाना फ़्रमाया। हज़रत हबीब यह मुबारक ख़त लेकर मुसैलमा के दरबार में पहुंचे और आपका ख़त पेश किया। मुसैलमा यह ख़त पढ़कर जल भुन गया और गुस्से में बोला ।

“क्या तुम इस बात की गवाही देते हो कि मुहम्मद अल्लाह के सच्चे रसूल हैं। हज़रत हबीब ने फ़रमायाः हां! हां! वह बेशक अल्लाह के सच्चे रसूल हैं। मुसैलमा ने फिर पूछा :

“क्या तुम इस बात की गवाही देते हो कि मैं भी अल्लाह का रसूल हूं? हज़रत हबीब ने फ़रमायाः मैं इस कलाम के सुनने से बहरा और यह गवाही देने से गूंगा हूं। मुसैलमा ने एक दो मर्तबा फिर पूछा । आपने हर बार यही जवाब दिया तो उस मरदूद ने हज़रत हबीब के सर से पांव तक के कुल आज़ा अलग कर दिये और आप शहीद हो गये ।

(इसाबा की तमोज़िस-सहाबा सफा ३२८)

Leave a Comment